परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम.आर. श्रीनिवासन का निधन

Renowned Nuclear Scientist and Former Atomic Energy Commission Chairman Dr. M.R. Srinivasan Passes
India Ahead Now | Updated on: May 20, 2025 | 3:58 pm

परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम.आर. श्रीनिवासन का मंगलवार को तमिलनाडु के उधगमंडलम में निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे। भारत के सिविल न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम के प्रमुख वास्तुकार माने जाने वाले डॉ. श्रीनिवासन ने 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) से अपना करियर शुरू किया, जो पांच दशक से अधिक समय तक चला।

डॉ. श्रीनिवासन ने डॉ. होमी भाभा के साथ मिलकर भारत के पहले परमाणु अनुसंधान रिएक्टर अप्सरा के निर्माण में भूमिका निभाई, जो 1956 में शुरू हुआ था। 1959 में उन्हें देश के पहले परमाणु ऊर्जा स्टेशन के लिए प्रधान परियोजना इंजीनियर नियुक्त किया गया। उन्होंने मद्रास न्यूक्लियर पावर स्टेशन सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में अग्रणी भूमिका निभाई और देश की आत्मनिर्भर परमाणु क्षमता की नींव रखी।

NPCIL के संस्थापक अध्यक्ष का पद संभाला

1974 में वे डीएई के पावर प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग डिवीजन के निदेशक बने और बाद में न्यूक्लियर पावर बोर्ड के अध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए। वर्ष 1987 में उन्हें परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग का सचिव बनाया गया। इसी वर्ष वे न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के संस्थापक अध्यक्ष भी बने। उनके नेतृत्व में 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयों की योजना, निर्माण और संचालन हुआ, जिससे भारत के परमाणु ढांचे में उल्लेखनीय विकास हुआ।

पद्म विभूषण से सम्मानित

पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. श्रीनिवासन को देश ने परमाणु विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया। उनकी पुत्री शारदा श्रीनिवासन ने परिवार की ओर से जारी बयान में कहा कि उनका दूरदर्शी नेतृत्व, तकनीकी प्रतिभा और राष्ट्र सेवा की भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

डॉ. श्रीनिवासन का निधन न केवल भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक युग के अंत के समान है। वे एक ऐसी अमिट विरासत छोड़ गए हैं, जिसने भारत की ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी प्रगति को मजबूत आधार प्रदान किया।